महमूद गजनवी,जिसने भारत पर किया 17 आक्रमण
कहते हैं महमूद गजनवी ने इंडिया पर एक नहीं दो नहीं बल्कि 17 बार अटैक किया वह इतना निरंकुशकारी शासक था कि उसे मूर्ति भंजक कहा जाने लगा। उसका सबसे बड़ा आक्रमण सोमनाथ मंदिर पर था तो चलिए जानते हैं महमूद गजनवी के कूछ अनसुनी बाते था।
![]() |
| Somnath temple |
महमूद गजनवी यमीनी वंश के तुर्क के सरदार गजवनी के शासक सुबुक्तगिन का बेटा था उसका जन्म 2नवंबर 971ईस्वी में अफगानिस्तान गजनवी परिवार में हुआ था। गजनवी का पूरा नाम यामीन अब्दुल्लाह काशी मोहम्मद सुबुक्तगिन था। वह 27 साल की उम्र में गजनवी 998 ईस्वी में शासना अध्यक्ष बन गया। वह बचपन से भारत के अपार धन समृद्धि के बारे में सुनता आ रहा था। उसके वलिदह(पिता जी) ने एक बार हिंदू राजा जयपाल के राज्य को लूट कर अधिक मात्रा में धन संपदा जमा किया थी।
इन सभी बातों को सुनकर महमूद गजनवी ने भारत की अपार दौलत को लूट कर सबसे अमीर शासक बनने की ठान लिया। जब वह बड़ा हुआ तब उसने मन बना लिया की भारत पर ना सिर्फ आक्रमण करेगा बल्कि यहां के मंदिरों में मौजूद अपार धन भंडार को लूट कर अपने देश में ले जाना चाहता था।
इसके अलावा और भारत में इस्लाम को भी फैलाना चाहता था। गजनवी ने भारत पर 17 बार आक्रमण किया। आक्रमण की शुरुआत 1000 इसवी से शुरू हुई शुरुआत में गजनवी ने पेहवार और पंजाब में रहने वाले हिंदू शाही शासको पर हमला किया लेकिन वहां अपनी पैर नहीं जमा सका।
गजनवी ने lahaur,Kashmir, mathura,kanaud तक भी हमला किया फिर भी असफल रहा उसे हर बार भागना पड़ा इसलिए उन्होंने बाद में किसी भी जगहों पर हमला करना शुरू कर दिया ताकि वहां के शासकों को मौका ना मिल सके।
जैसे ही इंडिया शासक एकजुट होकर मुकाबले के लिए आते इतने में वह धन लूट कर फरार हो जाता यहां तक कि उसने मुल्तान मुस्लिम शासकों के खिलाफ भी युद्ध किया क्योंकि वह इस्लाम ऐसे संप्रदाय से था जिनका महमूद गजनवी कट्टर विरोधी था उस समय हिंदू शासन panjab से लेकर आधुनिक अफगानिस्तान तक फैला हुआ था। ऐसे हीं गजनवी के आक्रमण को मात देने के लिए शासकों ने कुछ नहीं किया। हिंदू शाही शासक जयपाल ने समान्य शासक की देखरेख मे भूतपुर्व गवर्नर के बेटे के साथ मिलकर गजनवी पर हमला कर दी लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा हार के बाद फिर भी जयपाल ने हिम्मत नहीं हारी और अगले साल फिर से हमला की और वह फिर से पराजित हुआ महमूद ने अपना पहला आक्रमण हिंदू शाही राजा जयपाल के खिलाफ 29 नवंबर 1001 में किया था दोनों के बीच काफी भीषण युद्ध हुआ इस युद्ध में महमूद की force ने जयपाल को हरा दिया जयपाल के बेटे आनंदपाल और उनके वंशज त्रिलोचन पाल और भीमरपाल ने कई बार महमूद से युद्ध किया कुछ समय बाद हिंदु शाही राजाओं का राज खत्म हो गया इससे महमूद का रास्ता साफ हो गया था।
उसने मुल्तान lahaur nagerkot और thaneshwar तक के विशाल भूभाग पर खूब आतंक मचाया और जबरन भारतीयों का धर्म परिवर्तन कर उन्हें मुसलमान बनाया सोमनाथ पर अकर्मण सबसे बड़ा अकर्मण माना जाता है गजनी ने भारत पर कितनी बार आक्रमण किया 999 ईस्वी में जब महमूद गजनवी सिंहासन पर बैठा तो उसने हर बार भारत पर आक्रमण करने की योजना बनाई सर हेनरी इलियट के अनुसार उसने भारत पर 17 बार आक्रमण किया पहला आक्रमण |
- 1001 ईस्वी में महमूद गजनवी ने अपना पहला आक्रमण 1001 ईसवी में भारत के नजदीकी नगरों में किया लेकिन यहां उसे कोई खास सफलता नहीं मिली|
- दूसरा आक्रमण 1001 ईस्वी से लेकर 1002 इसवी तक अपने दूसरी अभियान के तहत महमूद गजनवी ने सीमांत प्रदेशों के शासक जयपाल के विरोधी युद्ध किया उसकी राजधानी बेहिंद पर अधिकार कर लिया जयपाल इस हार के अपमान को सहन नहीं कर सके और उन्होंने आग में जलकर आत्महत्या कर लिया।
- तीसरा आक्रमण 1004 इसवी में महमूद गजनवी ने उच्चकिए शासक वजीरा को दंड देने के लिए आक्रमण किया महमूद की डर की वजह से वजीरा ने जंगल मे सिंधु नदी के किनारे पर शरण लेने भाग गया और आखिर में उसने आत्महत्या कर ली।
- चौथा आक्रमण 1005 ईसवी में महमूद गजनवी ने मुल्तान के शासक दाऊद के विरोध मार्च में किया इस आक्रमण के दौरान उसने उसने भटेंडा के शासक आनंदपाल को पराजित किया और बाद में दाऊद को पराजित कर उसे अधीनता स्वीकार करने के लिए कह दिया।
- पांचवा आक्रमण 1007 ईसवी पंजाब में वोहिंद पर महमूद गजनवी जयपाल के पुत्र सुखपाल को नियुक्त किया क्योंकि उसने इस्लाम धर्म कबूल कर लिया था बाद में उसे नौशा शाह कहा जाने लगा 1007 ईस्वी नौशा शाह ने अपनी स्वतंत्रता की घोषणा कर दी। महमूद गजनवी ने वोहिंद पर आक्रमण किया और नौशा शाह को बंदी बना लिया।
- छठा आक्रमण 1008 ईसवी। महमूद ने1008 ईस्वी मे अपने छटे अभियान के तहत अपना अभियान पहले उसने आनंदपाल को पराजित किया बाद में उन्होंने इसी साल कांगड़ी पहाड़ी पर स्थित नगरकोर्ट पर आक्रमण किया इस आक्रमण में महमूद को अपार धन मिला।
- सातवां आक्रमण 1009 ईस्वी इस आक्रमण के अंतर्गत महमूद गजनवी अलवर राज्य के नारायणपुर पर जीत हासिल की।
- आठवां आक्रमण 1010 ईसवी महमूद गजनवी ने आठवीं बार मुल्तान पर आक्रमण किया उसने वहां के शासक दाऊद को हराकर मुल्तान के शासन को हमेशा के लिए अपने अधीन कर लिया।
- नौवां आक्रमण 1013 ईसवी गजनवी ने अपने नए अभियान के तहत थानेश्वर पर हमला किया |
- दसवा आक्रमण 1013 ईसवी गजनी ने अपना दसवां आक्रमण नंद शाह पर किया हिंदू शाही शासक आनंदपाल ने नंद शाह को अपनी नई राजधानी बनाया जहां का शासक त्रिलोचन पाल था त्रिलोचन वहां से भागकर कश्मीर जा बसा तुर्को ने नंदसा में खूब लूटपाट की।
- 11वा आक्रमण 1015 इसवी, 1015 ईस्वी में महमूद ने त्रिलोचन पाल के बेटे भीमपाल पर आक्रमण किया युद्ध में भीम पाल को हार का सामना करना पड़ा।
- 12वा आक्रमण 1018 ईस्वी 12वा आक्रमण में गजनवी ने कन्नौज पर आक्रमण किया उसने बुलंद शहर के शासक हरदत्त को पराजित किया गजनवी ने महावन के शासक बुलाचंद्र पर भी हमला किया 1019 ईस्वी में उसने फिर से कन्नौज पर आक्रमण किया इस दौरान वहां के शासक राजपाल बिना युद्ध किए ही आत्मा समर्पण के लिए राजी हो गए राज्यपाल के आत्म समर्पण से कलिंजर का चंदेल शासक आग बबूला हो गया उसने ग्वालियर के शासक के साथ संधि कर कन्नौज पर आक्रमण कर दिया और राज्यपाल को मार डाला
- 13वा आक्रमण 1020 ईसवी इस अभियान में उसने बारी बुंदेलखंड की रात अर्लोहो कोट को को जीत लिया
- 14वा आक्रमण 1021 ईसवी 14 आक्रमण के दौरान महमूद ने ग्वालियर और कलिंजर पर आक्रमण किया कलिंजर के शासक गोंडा ने बेबस होकर संधि कर ली।
- 15वाँ आक्रमण 1024 ईस्वी इस अभियान में महमूद गजनवी ने लोदुर्ग जैसे मे चिकलोदर गुजरात अनिल वहर्द गुजरात पर जीत हासिल की|
- 16वाँ आक्रमण 1025 ईसवी इस बार महमूद गजनवी ने सोमनाथ मंदिर को अपना निशाना बनाया कहा जाता है कि यह उसके अभियान का सबसे अहम आक्रमण था सोमनाथ धन संपदा से भरपूर मंदिर था गजनवी ने इस मंदिर के अपार दौलत के बारे में बहुत कुछ सुना था सोमनाथ पर हमले के दौरान उसने सबसे पहले पुजारियों को मारा और फिर सारी संपत्ति लूट कर भाग गया इस दौरान मंदिर के शिवलिंग को भी तहस-नहस कर दिया कहा जाता है कि उसने यहां से इतनी दौलत लूटी कि यहां से ले जाने के लिए कई ऊंट और खच्चर पर ले जाया गया कुछ लोगों का कहना है कि गजनवी भारत में सिर्फ धन लूटने की इरादा से आया था लेकिन यह गलत है क्योंकि गजनवी ने कहा था कि वाह वाह मूर्ति भंजक है इसलिए उसने यहां के मंदिरों को भी नहीं बख्शा और उन्हें बर्बाद कर दिया वह हिंदुओं से इतना नफरत करता है था कि सोमनाथ मंदिरों के शिवलिंग को गजनी भेज दिया|
- 17वा आक्रमण 1027 इसवी यह गजनवी का भारत पर आखिरी आक्रमण था इस दौरान उसने सिंधु और मुल्तान के तटीयवर्ती क्षेत्रों के जाटों के खिलाफ युद्ध किया हमले में जाट पराजित हुई उसने पंजाब को अपने राज्य में मिला लिया और लाहौर का नाम बदलकर महमूदपुर रख दिया पंजाब और मुल्तान पर जीत हासिल करने के बाद उत्तरी भारत की राजनीतिक स्थिति एकदम बदल गई आक्रमण की वजह से भारत का राजवंश बुरी तरह टूट गई और इस तरह भारत में मुस्लिम आक्रमणकारियों के लिए रास्ते खुल गए।




