कैसे एक लड़की दूसरे के घर मे काम कर, बनी IAS अधिकारी
हेलो दोस्तों यह जो आप फोटो देख रहे हैं यह एक आम
लड़की नहीं बल्कि यह एक आईएएस अधिकारी है यह आर्टिकल पढ़ने के बाद मेरा दावा है कि आपका दिल तड़प उठेगा कुछ करने के लिए आईएएस बनने के लिए लेकिन इससे पहले कुछ पंक्तियां पेश करता हूं।
"सफर में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो,
सभी है भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो।
किसी के वास्ते राहे कहां बदलती है,
तुम अपने आप को खुद बदल सको तो चलो।"
जी हां, यह एक दर्द भरी रास्ता है एक आईएस अधिकारी लड़की की मध्यप्रदेश के भोपाल में शाम हो चुकी थी।
खुशी एक 22 वर्ष की लड़की अपने मालकिन के घर खाना बना रही थी। दरअसल खुशी पढ़ाई के साथ-साथ दूसरे के घर में खाना भी बनाती थी उसकी इच्छा थी अधिकारी बनने की थी, वह आज खाना बनाते बनाते अपने मालकिन से पूछी। मालकिन आपके बेटे किस सरकारी परीक्षा की तैयारी करते हैं ऐसे में मालकिन का दिमाग घूम जाता है और खुशी को जोरों से डांट कर यह नसीहत देती है तुम अपना काम कर। आज खुशी का मन टूटा टूटा होता है, क्योंकि आज मालकिन ने यह भी कहा था कि तू जितना देर पढ़ाई करती है उतना देर में मेरे घर का साफ-सफाई कर दिया कर थोड़े पैसे और मिल जाएंगे तुझे और तेरे घर के आर्थिक स्थिति भी सही हो जाएगी।
दरअसल मालकिन ने खुशी को ओबियांग के रूप में कहे थे।
"मां-बाप का घमंड उनकी दौलत नहीं उनके बच्चे होते हैं,
कुछ ऐसा करो कि वो आसान से कहें यह है मेरी कमाई"
"रास्ता है लंबा, समय है कम, यूपीएससी में भीड़ बहुत है,
पर क्यों डरे रहे हैं हम""सोच जब तक तंग है जीवन तब तक जंग है"
अब खुशी काम से लौटकर घर आ जाती है और रोज की तरह पढ़ाई में लग जाती है और सुबह होते ही फिर से मालकिन के घर खाना बनाने निकल जाती है लेकिन आज मालकिन का तेवर कुछ बदले बदले से होते हैं और वे खुशी से कहती है खुशी अमित से कुछ काम था क्या?
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अमित जो की मालकिन का बेटा था और यूपीएससी का तैयारी कर रहा था आज घर पर ही था।
खुशी, हां मालकिन पूछना था अमित किस परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं मालकिन बोलती है खुशी आज रात यहीं रुक जा तू अमित से पढ़ाई के बारे में बात कर लेना
और मेरा एक काम भी कर देना। खुशी झट से खुश हो जाती है अब मालकिन बोलती है आज रात तुझे 25 लोगों की खाना बनाना है क्या तू बना देगी?
खुशी झट से हां बोल देती है क्योंकि उसे यूपीएससी की कुछ किताबें चाहिए थी और खुशी को यह मालूम था कि मालकिन का बेटा यूपीएससी का ही तैयारी कर रहा है।
और उसे पढ़ाई के लिए मांगने पर कुछ किताबें मिल जाएगी। देर रात हो चुकी थी खुशी 25 लोगों का खाना बना देती है और मालकिन से पूछती है अमित भैया को बुला लीजिए उनसे कुछ पूछना है लेकिन मालकिन का काम तो पूरा हो चुका था वह खुशी से काम करवा लेती है और और झूठ बोलती है अमित दोस्तों के घर गया है और शायद वह आज नहीं लौट पाएगा।
अब खुशी की खुशी दुख में तब्दील हो जाती है क्योंकि खुशी के पास जितने भी किताबें थी वह पहले ही पढ़ चुकी थी और अब इस महीने उतने पैसे नहीं बचे थे जिसे वह किताबें खरीद सके तभी अमित मां का आवाज लगाकर अंदर से बाहर आता है अब मालकिन का झूठ सामने आ चुका था अगर वह अमित से बोलते हैं तुम तो अपने दोस्तों के घर गया था ना, और बात को खुद से काटते हुए झूठ पर पर्दा डालते हुए बोलती है की बेटा खुशी तुमसे पढ़ाई के बारे में कुछ पूछना चाहती है अब अमित बोलता है क्या पूछना है बताओ इस पर खुशी ने बताती है वह भी यूपीएससी की तैयारी कर रही है लेकिन उसके पास इतने पैसे नहीं है जिसे कि वह कोचिंग ज्वाइन करें और किताबें खरीद सकें और पूछती है आप मुझे बताएं कि तैयारी कैसे करूं इस पर अमित खुशी की औकात को समझाते हुए कहता है तू यूपीएससी की तैयारी में कहां फंस गए बहुत बड़ा एग्जाम होता है पता है तुझे बड़े-बड़े कॉलेजों में पढ़ने वाले बच्चों का कंपटीशन एग्जाम होता है तू नहीं कर पाएगी क्यों अपने मजदूरी के पैसे कोचिंग और किताब में बर्बाद करेगी इतना कह कर अमित अंदर चला जाता है और मालकिन भी खुशी को यह कह कर कहती है देख खुशी घर में इतने मेहमान आए हैं घर में सोने के लिए जगह भी नहीं है एक काम कर तू अपने घर ही चला जा सोने के लिए।
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"विधाता अदालत में वकालत बड़ी न्यारी है।
खामोश रहिए कर्म कीजिए सब का मुकदमा जारी है"
अब रात के 11:30 बज रहे थे अब एक अकेली काम कर थक हार कर घर चले आती है घर आकर खुशी बहुत रोती है क्योंकि अमित ने जो उसकी औकात बता दी थी अब खुशी इतना थक चुकी थी कि उसका सर जवाब देने लगा था, लेकिन खुशी उसी रात यह प्रयत्न किया कि अमित के किए गए अपमान का बदला तो लेकर रहेगी और यह दिखाएगी की एक गरीब और छोटे कॉलेज से बड़ी लड़की भी आईएस बन सकती है खुशी उसी रात अपने टाइम टेबल को बनाती है और यह सेट कर लेती है कि मालकिन के घर खाना बनाने के बाद घर आकर रात में रोजाना 7 घंटे पढ़ना है और दिन में कम से कम 3 घंटे ऐसे में खुशी अपने 10 घंटे का टाइम टेबल बना लेती है लेकिन सबसे किताबों के थे किताब कहां से लाएंगे अब खुशी थाली की सुबह मालकिन के बेटे से किताब मांगेंगे क्या पता किताब दे ही देंगे और यह सोचकर सो जाती है सुबह होती है और आदतन सुबह 2 घंटे पढ़ाई कर मालकिन के घर जाती है इधर मालकिन के शहजादे अमित घोड़े बेच कर सो रहे होते हैं खुशी मालकिन से कहती है कि मालकिन आप चाहो तो कुछ घंटे मैं आपके यहां और काम कर दूंगी आपकी गाड़ी की सफाई कर दूंगी के बदले में आप मुझे हर महीने ₹500 और दे दीजिए ताकि मैं अपने किताब खरीद सकूं मालकिन भी आज खुश थी बोली एक काम कर पैसे तो नहीं दे सकती लेकिन अमित का किताब अमित का किताब दिला सकती हूं तू पढ़ कर जल्दी जल्दी वापस दे देना अब खुशी के खुशी का ठिकाना नहीं था मां के कहने के अनुसार अमित धीरे-धीरे किताबें देना शुरू कर देता है अब से खुशी अपने पढ़ाई दोगुनी कर देती है जो किताबें अमित के अलमारी में पड़ी धूल का पेड़ चढ़ने लगा था उनका प्रयोग होने लगा था अभी यूपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा में 4 महीना बाकी थे यानी कि यूपीएससी के प्री परीक्षा में 4 महीना बाकी थे और खुशी ने अमित के किताब से सहारा यूपीएससी का सिलेबस 4 महीना पहले खत्म कर लिया था क्योंकि खुशी को किताबों का महत्व पाता था इधर अमित यूपीएससी से हटकर अलग ही दुनिया में मस्त था लेकिन मां को दिखाने के लिए खुशी को दी हुई किताबें 2 से 3 दिन में ही मांगने लगता था अब खुशी परीक्षा के लिए अपना रिवीजन चालू कर देती है और एक दिन वह खाना बनाते बनाते मालकिन से पूछती है के अमित भैया की तैयारी कैसे चल रही है इतने में अमिता पहुंचता है और फिर से खुशी को उसका औकात बताने का प्रयास मे लग जाता है लेकिन अब खुशी वह खुशी नहीं थी जिससे अमित 6 महीना पहले किताबें देते हुए बात की थी अमित बड़े रूप से यूपीएससी में कितने पेपर होते हैं यह से पूछता , इस पर खुशी 2 मिनट में यूपीएससी के सिलेबस अच्छे से समझा कर अंतरराष्ट्रीय संबंध यानी आई आर के घट मुद्दे पर प्रश्न पूछ बैठती है लेकिन बेचारे अमित को दूर-दूर तक करंट अफेयर की जानकारी नहीं थी वह बात घुमा कर खुशी कि अपमान करने का कोशिश करता है और वहां से निकल लेता है अब धीरे-धीरे समय बीत जाता है और यूपीएससी की प्री परीक्षा आ जाती है और खुशी परीक्षा पास कर लेती है लेकिन अमित परीक्षा पास नहीं कर पाता अवर यह बताता कि उसने इस बार परीक्षा दी ही नहीं है खुशी तो पास थी लेकिन यह बात मालकिन और अमित को नहीं बताती है अब मेंस की बाकी थी और खुशी दोगुनी मेहनत में लग जाती है और मेंस में भी सफल रहती है अवर इंटरव्यू का इंतजार करने लगती है लेकिन जिस दिन इंटरव्यू था उस दिन मालकिन ने खुशी को जोरों से काम पर बुलाया था और यह भी कहा था कि अगर तू आज नहीं आई तो तुझे कभी आने की जरूरत नहीं है खुशी का तो यह तय था कि वह उस दिन नहीं जाएगी उस दिन उसे यूपीएससी के इंटरव्यू में जाना था अब इंटरव्यू खत्म हो जाते हैं और इधर मालकिन खुशी को नौकरी से निकाल देती है अब खुशी अंतिम परिणाम का इंतजार करने लगती है तभी यूपीएससी के रिजल्ट आ जाते हैं तभी खुशी को यूपीएससी की परीक्षा में 369 व रैंक मिलता है अब खुशी के खुशी का ठिकाना नहीं था एक काम करने वाले लड़की यूपीएससी की परीक्षा पास कर आईएएस बन चुकी थी आज जब यूपीएससी की अंतिम रिजल्ट का पता अमित को चलता है वह भागे भागे के घर आता है और उसे उसके यूपीएससी स्ट्रेटजी के बारे में पूछता है आज मालकिन भी अमित के साथ खुशी के घर पहली बार आई थी खुशी सोचती है एक वह भी दिन था जब मालकिन और अमित भैया मेरी औकात बताते थे। लेकिन शायद खुशी अमित जैसे नहीं थी उसने अमित को अपनी सारे स्ट्रेटजी शेयर कर दी लवसना की ओर निकल जाती है
लेकिन उसमें कभी नहीं लिखा होगा मैंने हार मान ली।
दोस्तों आप कमैंट्स में यह बताएं कि खुशी की जिंदगी कैसे लगी यदि आप भी अपने जीवन में कुछ करना चाहते हैं कुछ बनना चाहते हैं तो आज से ही लग जाएं दुविधा कितने भी आपके सामने हो यह दुविधाये है आपके स्ट्रैटेजी लगन और मेहनत के सामने घुटने टेक देती है
Click here- खुशबू रचते है हाथ।
जो इंसान को मुर्दा बना देते हैं"
"धन्यवाद"

