गरीब लड़के की उड़ान
एक छोटे से गांव में लेखाबाई नाम की औरत रहा करती थी, जोकि बहुत गरीब थी और वह किराए के घर में रहती थी, उसके पति को गुजरे 2 साल बीत चुके थे और उसका एक लड़का भी था उसका नामथा राकेश वह पढ़ाई में बहुत ही होशियार था, पति के गुजरने के बाद घर चलने की सारी जिम्मेदारी लेखा बाई के ऊपर आ गई थी और साथ में राजेश की पढ़ाई का बोझ भी था सकूबाई हमेशा सोचती एक दिन मेरा बेटा ऑफिसर बनेगा।
लेखाबाई जब भी काम करने जाती उसके साथ राकेश भी जाता और लोगों के घर पर जाकर बर्तन मांजति थि और खाना बना देती तो राजेश बैठे-बैठे लोगों के घर आए अखबार को ध्यान से पड़ता. 1 दिन राकेश जब अखबार पढ़ने लगा तो एक मालकिन ने बड़ी उत्सुक्तसे कहा अरे राकेश अखबार पढ़ कर क्या तू बड़ा अफसर बन जाएगा इससे अच्छा तो मां के काम में हाथ बटा, कम से कम उसे कुछ मदद तो हो जाएगी, इस पर राकेश बोला मालकिन मुझे बड़ा ऑफिसर बनना है, कलेक्टर बनना है हम किताबें नहीं ले सकते इसीलिए ज्यादा ज्ञान के लिए मैं अखबार पढ़ता हूं,मालकिन बोली है तुमऔर कलेक्टर शक्ल देखी है अपनी और मालकिन जोर जोर से हंसने लगी, सकू बाई को यह बात बहुत बुरी लगी और वह दोनों वहां से चले गए।
राकेश 22 साल का हो गया , फिर क्या था राकेश दिल्ली चला गया और वहां खूब पढ़ाई की वह घंटों लाइब्रेरी में किताब पढ़ता रहता फिर एक दिन जब परीक्षा का समय आया जाते जाते एक गाड़ी वाले ने टक्कर मार दीया राकेश जमीन पर गिर गया उसके सिर और दाहिना हाथ पर चोट आई, अब वह सोचने लगा मेरे दाहिने हाथ पर चोट लगी है और सिर से खून भी निकल रहा है,वह सोचने लगा इस हालत में हस्पताल जाऊं या परीक्षा देने अगर हस्पताल गया तो मेरा यह पूरा साल बर्बाद हो जाएगा और मेरे लिए मुमकिन नहीं है यह फिर दिल्ली में रहने का मेरे खर्चा भी कौन उठाएगा, मेरे सिर और दाहिने हाथ पर चोट लगी है पर दूसरा हाथ अभी भी अच्छा है, तो मैं दूसरे हाथ से परीक्षा दूंगा. और वहां से राकेश सीधा परीक्षा केंद्र गया और परीक्षा दी परीक्षा देने के बाद राकेश अस्पताल में भर्ती हुआ और इलाज करवाया, राकेश ने अस्पताल में भी पढ़ाई जारी रखी और इंटरव्यू अटेंड किया।
फिर कुछ दिन के लिए राकेश मां के पास गांव वापस चला गया, कुछ दिनों बाद रिजल्ट के दिन मां ने अखबार खरीद कर लाया और राकेश को परिणाम देखने को कहा, राजेश ने रिजल्ट देखा तो उसने जोर से चीख निकाली और बोला मां मैं पास हो गया तुम्हारा बेटा ऑफिसर बन गया मैं कलेक्टर बन गया हूं,मां यह सुनते ही मां के आंखों सेआंसू आ गए और वह दोनों रोने लगे।
तो इससे हमें यह सीख मिलती है कि हमें हमेशा अपना लक्ष्य प्राप्त करने के लिए मेहनत करनी चाहिए दुनिया हम पर हंसे या मजाक उड़ाए लेकिन हमेशा लक्ष्य का पीछा करना चाहिए कामयाबी जरूर मिलती है।
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