पिताजी का सपना।
दोस्तों यह एक कहानी है ऐसे लड़के की जो कि पढ़ाई में औसत था, दिन भर दोस्तों के साथ समय पारित करना फोन चलाते रहना उसकी आदत थी, घर पर उसकी मां की तबीयत भी ठीक नहीं रहती थी, और वह ठहरे गरीब परिवार से और घर की हालत बद से बदतर थी, यानी कोई मेहमान आ भी जाए उनको बैठने तक की जगह नहीं थी, एक बार उसका दोस्त उसे बुलाने के लिए आया और बोला चल कहीं चलते हैं, तो वह दोस्त पहली बार उसके घर आया था, तो वह घर की हालत को देखकर दंग रह गया तो उसने पूछा क्या तू यहां पर रहता है, वह बोला हां मैं यहां पर रहता हूं, उसने पूछा यह तेरा घर है वह बोला हां यह मेरा घर है, बोला तू ऐसे हालातों में रहता है बोला हां मैं ऐसे हालातों में रहता हूं, क्यों क्या हुआ।

थोड़ी देर तक तो उसका दोस्त चुप बैठा रहा फिर वह बोला वाह वाह मेरे दोस्त वाह तेरे घर की हालत बद से बदतर है, मां घर पर बीमार पड़ी हुई है और तेरे पिताजी दिन रात मेहनत कर कर थोड़ी सी पैसे जुटा पाते हैं, और उससे घर खर्च चलाते हैं, और तू दिन भर फोन चलाता रहता है और दिन भर दोस्तों के साथ समय पारित करता है, तुझे अपनी आगे की जिंदगी की कोई चिंता नहीं, और तेरे घर की हालत बद से बदतर हो चुकी है, तू एक बात बता तू किस को धोखा दे रहा है अपने आपको, अपने मां बाप को किस को धोखा दे रहा है, उसके दोस्त ने बोला तू चल मेरे साथ, वह बोला कहां चलना है उसका
दोस्त बोला तू चल मेरे साथ
उसका दोस्त उसे वहां ले गया जहां उसके पिताजी काम करते थे, उसके पिताजी एक फैक्ट्री में मजदूर थे और वहां पर बैठे हुए थे, पसीने से तरबतर होकर हालत बद से बदतर हो चुकी थी, शरीर में दर्द हो रहा था और उन्हीं के पास उन्हीं की फैक्ट्री का और एक मजदूर बैठा था, और वह उनसे कुछ कह रहे थे और वह कह रहे थे कि यार मेरी पत्नी बीमार है इलाज करने के लिए भी पैसे नहीं है, मैं दिन-रात की मेहनत करके दो वक्त की रोटी जुटा पाता हूं और उससे सिर्फ घर का खर्च चलता है और कहीं पैसा बचा ही नहीं पाता, अभी तो बेटे की स्कूल का पैसे भी जमा करना है यार इससे बेहतर तो मौत ही है जिंदगी तो दुख का दूसरा नाम बन चुकी है, मैं तंग आ गया हूं इस जिंदगी से, अब तो मेरा बेटा ही बस मेरी आखिरी उम्मीद है, उसके पिताजी कह रहे थे मेरा बेटा 1 दिन इससे भी बड़ी फैक्ट्री का मालिक बनेगा।

वह लड़का और उसका दोस्त उस चीज को देख रहे थे और पूरे गौर से सुन रहे थे, तभी उसके दोस्त ने कहा देख देख कैसे जीते हैं तेरे पिताजीतु झसे कितनी उम्मीद लगाए बैठे हैं देख जरा एक बार, लेकिन क्या तुझे लगता है कि इस तरह से तु उनकी उम्मीदों पर खरा उतरेगा एक बार तू अपने पिताजी के हालत को देख कि, कैसे जीते हैं और एक बार अपनी हालत को देख तू कैसे जीता है, और दो कौड़ी की फोन तेरे पिताजी से बढ़कर है तेरे लिए, तेरा घूमना फिरना तेरे पिताजी से बढ़कर है, वाह मेरे दोस्त वाह यह तो कुछ दिनों के लिए आई थी और कुछ दिनों बाद चली जाएगी, अरे बदल अपने हालातों को यह सब देख कर यह सब सुनकर उस लड़के के खून के आंसू टपक गए, और उसी वक्त फैसला किया जिस फैक्ट्री में मेरे पिताजी काम करते हैं, आने वाले 5 साल के अंदर अंदर इससे भी बड़ी फैक्ट्री का में मालिक बनकर दिखाऊंगा, और उसके अंदर से चीख उठी थी मुझे कंपनी का मालिक बना है मुझे बहुत बड़ी कंपनी का मालिक बना है नौकर नहीं बनना है।

उसके बाद से वह दिन के 10 10 घंटे लगातार पढ़ने लगा, उसके दिमाग में सिर्फ एक ही लक्ष्य थी मुझे बहुत बड़ी कंपनी का मालिक बनना है और उसके लिए मुझे क्या करना होगा, उसके लिए मुझे पढ़ना होगा और मैं पढ़ लूंगा और कोई माई का लाल ऐसा नहीं है कि मुझे कोई रोक सकता है पढ़ने से, और आखिरी के 1 महीने में पढ़ कर राज्य में टॉप करके दिखाया, और सब लोग हैरान हो गए, यह कैसे हो गया सबकी आंखें फटी की फटी रह गई सब लोग दंग रह गए, यह कैसे हो गया. जब उसका इंटरव्यू हुआ उससे पूछा गया यह सब कैसे हुआ तब उसने कहा मुझे जिंदगी में कुछ नहीं चाहिए मुझे तो सिर्फ अपने पिताजी के सपने को पूरा करना है, मेरे पिताजी का सपना है जिस फैक्ट्री में वह काम करते हैं 1 दिन उससे भी बड़ी फैक्ट्री का मालिक बनकर दिखाऊं,सिर्फ इसी सपने को लेकर मैं इतना पढ़ पाया और अपने राज्य में पहले नंबर पर आया.
और उसके बाद उसने अपने पिताजी के सपने को पूरा किया और बहुत बड़े कंपनी का मालिक बन गया।
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