एक अनाथ लड़के की कहानी | Inspirational Story in Hindi for Students

 एक अनाथ लड़के की कहानी


धर्मपुर नाम के गांव में एक राजू नाम का लड़का रहा करता था वह जन्म से ही अनाथ था इसलिए उसको खुद का गुजारा खुद को करना पड़ता था राजू हर रोज भीख मांग कर अपना गुजारा किया करता था 1 दिन राजू के मन में विचार आता है अगर मैं प्लास्टिक की बोतल जमा करके बेचू 


एक अनाथ लड़के की कहानी


तुम मुझे पैसे मिल जाएंगे ऐसा मन में सोच कर राजू प्लास्टिक की बोतल जमा करने लगा कभी बस्ती में जाता तो कभी रेलवे स्टेशन पर चला जाता और बहुत सारी प्लास्टिक की बोतल ला कर दुकानदार को बेचकर पैसे जमा करता था 1 दिन राजू रेलवे स्टेशन में बोतल जमा कर रहा था तभी एक औरत बच्ची को लेकर रेलवे ट्रैक पार कर रही थी उसी समय ट्रेन में टक्कर मार दी राजू उस औरत के पास भागते हुए गया और उसे उठाने लगा मगर वह कब की इस दुनिया से जा चुकी थी थोड़ी ही दूर में वह बच्ची रो रही थी, जोकि उस औरत की बेटी थी उसको देखकर राजू को खुद का जीवन याद आ गया क्योंकि वह भी एक अनाथ था फिर राजू कुछ मन में सोच कर उस बच्ची को उठा लेता है और उसे अपने घर ले कर चला जाता है उसके घर जाते ही राजू उसे शांत कर आता है और उसे कुछ खाने के लिए दे देता है तभी राजू उससे पूछता है तुम्हारा नाम क्या है वह बच्ची बोलती है मेरा नाम शिवानी है और उसके बाद उसको भूख लगने की वजह से शिवानी जल्दी-जल्दी खाना खा रही थी और शिवानी राजू को आवाज देती है भैया मेरा हो गया यह शब्द सुन राजू का दिल भर आया आज उसके जिंदगी में कोई था जिसने उसको भाई कहां था तभी से राजू ने मन ही मन ठान लिया अब से इस लड़की की जिम्मेदारी मेरी है मैं मेरी बहन को अच्छा पढ़ाऊंगा और उसे उसके पैरों पर खड़ा करूंगा ऐसा मन में सोच कर राजू शिवानी से पूछा शिवानी तुम्हारे घर में कौन-कौन है शिवानी ने कहा मां के सिवा कोई नहीं है


भैया फिर राजू ने कहा शिवानी आज से तुम मेरे साथ रहोगी शिवानी ने कहा हां भैया मैं तुम्हारे साथ ही रहूंगी यह बातें शिवानी के मुंह से सुनकर राजू बहुत खुश हो गया था आज वह अनाथ नहीं था उसके जिंदगी में उसकी बहन आ गई थी उसके जीने को जैसे मकसद मिल गया था अब हर रोज राजे प्लास्टिक की बोतल जमा करने जाता था और शिवानी घर पर रहा करती थी अब राजू भी छोटे-मोटे काम कर लिया करता था ऐसे ही दोनों के दिन गुजर जाया करते थे अब एक दिन राजू शिवानी को लेकर खाने का सामान लाने के लिए दुकान लेकर गया तभी दुकानदार से कहा चाचा मुझे एक किलो चावल और आधा किलो दाल दे दीजिए और एक दूध  का पैकेट भी और दुकानदार सारी चीजें राजू को दे देता है और राजू पैसे देकर जाने के लिए निकलता है, तभी शिवानी एक जगह देखते हुए दिखाई देती है वह स्कूल के बच्चों को देख रही थी उसे ऐसे देख राजू उससे कहता है कि शिवानी क्या तुम स्कूल जाना चाहती हो शिवानी बोलती है हां भैया मैं पढ़ना चाहती हूं राजू बोलता है ठीक है शिवानी मेरे पास थोड़े पैसे जमा हो जाएंगे ना तब मैं तुम्हारा स्कूल में दाखिला करवा दूंगा शिवानी बोलती है सच में भैया मैं भी स्कूल जाऊंगी राजीव बोलता है हां शिवानी फिर दोनों घर चले जाते हैं तभी राजू जल्दी-जल्दी चूल्हा पर खाना बनाता है और दोनों खाना खा कर सो जाते हैं अब राजू जब सुबह उठता है तो उसके दिमाग में पैसे कहां से लाऊं ऐसे विचार आते हैं और राजू घर से बाहर निकलता है और चलते चलते एक दुकान के सामने आ जाता है वहां एक बोर्ड पर लिखा था काम के लिए लड़का चाहिए यह देख राजू उस दुकान पर चला जाता है


राजू दुकानदार से कहता है साहब आपके यहां काम करने के लिए कोई लड़का चाहिए था दुकानदार कहता है हां मुझे एक लड़का दुकान में काम करने के लिए चाहिए था जो कि मेरी मदद कर सके राजीव बोलता है साहब आपको कोई एतराज ना हो तो मैं काम करना चाहता हूं दुकानदार बोलता है बेटे अभी तुम छोटे हो नहीं मैं तुम्हें काम पर नहीं रख सकता बच्चों को काम पर रखना कानूनी जुर्म है राजू बोलता है मुझे इस काम की बहुत जरूरत है मुझे यह काम करने दीजिए ना दुकानदार बोलता है बेटा मैं तुम्हें काम पर नहीं रख सकता और तुम्हें काम का भी अनुभव नहीं है 

एक अनाथ लड़के की कहानी


राजू बोलता है साहब आप काम बता देना मैं मन लगाकर सब काम करूंगा कृपा करके यह नौकरी मुझे दे दीजिए दुकानदार राजू की विनती देख उसे अपने दुकान मैं काम करने के लिए रख लेता है वह एक दाल चावल का दुकान था और उस दुकानदार के मालिक का नाम था रवि सेठ राजू अब घर चला जाता है और शिवानी से कहता है शिवानी मुझे एक दुकान पर काम मिल गया है अब मैं तुम्हारा दाखिला स्कूल में कर सकता हूं शिवानी बोलती है सच में भैया मैं बहुत खुश हूं रवि सेठ बड़ा ही दयालु था उसको राजीव पर दया आने लगी और राजू को दुकान के तौर तरीके सिखाने लगा और देखते ही देखते काम करते-करते उसको एक महीना हो गया था और राजू को पूरे महीने की तनख्वाह ₹2000 मिली थी यह देश राजू के आंखों में आंसू आ जाते है वह आंसू पूछ कर घर चला जाता है घर जाते हैं खुशखबरी सुनाने के लिए शिवानी को आवाज देता है शिवानी शिवानी कहां हो तुम, मुझे तुम्हें कुछ बताना है शिवानी बोलती है हां भैया मैं यहां हूं क्या कहना चाहते हो राजू बोलता है शिवानी मेरी पहली तनखा हुई है चलो अब हम स्कूल देखने चले जाते हैं पहले स्कूल का एडमिशन कर लेंगे शिवानी बोलती है सच में भैया चलो राजू और शिवानी बहुत सारे स्कूल देखते हैं मगर फीस ज्यादा होने के कारण कोई उनका एडमिशन नहीं लेता और कई स्कूल में उनके पालक नहीं है इसलिए उन्हें एडमिशन नहीं मिलता यह सब देख राजू बहुत दुखी हो जाता है उसे अब एक ही रास्ता दिखाई देता है वह कुछ सोचकर रवि सेठ के यहां चला जाता है 

                                                                                                                    वहां जाकर रवि सेठ से कहता है सेठ जी मुझे आपसे कुछ काम था क्या आप मेरी मदद कर देंगे रवि सेठ बोलते हैं हां हां बोलो ना राजू क्या हुआ है राजू बोलता है सेठ जी मेरी बहन की स्कूल में एडमिशन करानी थी इसलिए मैं यहां आया मैं बहुत सारे स्कूल में गया मगर मेरी बहन को किसी ने एडमिशन नहीं दिया आपकी मदद हो जाती तो बड़ी कृपा होती रवि सेठ ने कहा चल मैं अभी तेरी बहन का एडमिशन करवा देता हूं आओ मेरे साथ राजू और शिवानी रवि सेठ के साथ चले जाते हैं रवि सेठ एक स्कूल में जाकर प्रिंसिपल से मिलते हैं रवि सेठ प्रिंसिपल से कहते हैं प्रिंसिपल सर मैं यहां का दुकानदार हूं यह बच्चा मेरे यहां काम करता है इसकी बहन यहां पढ़ना चाहती है तो इसे स्कूल में एडमिशन करना है


प्रिंसिपल बोलता है इन बच्चों के  डॉक्यूमेंट है या या इनके माता-पिता यहां है रवि सेठ बोलता है अरे सर मैं इनकी जिम्मेदारी लेता हूं उनके पास कोई डॉक्यूमेंट नहीं है आप इस लड़की का एडमिशन करवा दीजिए आपकी बड़ी मेहरबानी होगी प्रिंसिपल बोलता है ठीक है सेठ जी आप कह रहे हो और आप इनकी जिम्मेदारी ले रहे हो तुम मैं इन्हें स्कूल में एडमिशन दिलवा देता हूं फीस ₹2000 लगेंगे रवि सेठ बोलता है जिस चलेगा सर, कब से स्कूल में आ सकती है प्रिंसिपल बोलता है कल से ही भेज दीजिए कुल 1 महीने पहले ही शुरू हो गया है तो कल से ही स्कूल आने के लिए बोलिए रवि सेठ बोलते हैं धन्यवाद सर अब मैं चलता हूं ऐसा कहकर रवि सेठ स्कूल से बाहर आ गए और बाहर आते ही राजू को स्कूल का टाइम बता देते हैं और उसे स्कूल के कपड़े खरीद कर दफ्तर लाकर देते हैं और राजू से कहते हैं राजू बेटा मैंने तुम्हारी बहन का एडमिशन करवा दिया है अब से तुम इसको कल से स्कूल लेकर के जाना ठीक है राजू बोलता है ठीक है सेठ, सेठ जी मैं आपके पैसे थोड़े-थोड़े करके सब चुका दूंगा

रवि सेठ बोलते हैं राजू बेटा मैंने तुमसे पैसे मांगे हैं कभी रहने दो

राजू बोलता है नहीं सेठ जी मैं आपके सारे पैसे आपको वापस कर दूंगा सेठ जी बोलते हैं ठीक है दे देना मगर अब चलो घर जाओ कल से स्कूल लेकर जाना है और दुकान भी तो आना है तुम्हें राजू बोलता है हां सेठ जी मैं चलता हूं

ऐसा कहकर राजू और शिवानी वहां से चले जाते हैं अब घर आकर राजू शिवानी से देखा शिवानी सेठ जी कितने अच्छे हैं हमारी मदद कर दी उन्होंने शिवानी बोलती है हां भैया सच में यकीन नहीं हो रहा है कि मैं स्कूल पढ़ने जाऊंगी राजू बोलता है चलो शिवानी हमें आज जल्दी जल्दी काम निपटाना होगा

और कल सुबह उठ कर भी मुझे काम पर जाना है और तुम्हें स्कूल भी ऐसा कहकर दोनों घर के काम कर डालते हैं और अगले दिन राजू शिवानी को लेकर स्कूल जाता है और उसे स्कूल में छोड़कर वह दुकान के लिए निकल जाता है अब शिवानी स्कूल में जाकर अपने कक्षा में बैठ जाती है और इधर राजू दुकान में आकर काम करने लगता है तभी रवि सेठ दुकान पर आते हैं राजू छोड़ दिया तुमने अपनी बहन को स्कूल में राजू कहता है हां सेठ जी अभी छोड़ कर आया हूं सेठ जी बोलते हैं अच्छा राजू ठीक है. और राजू सेठ जी का शुक्रिया अदा करता है उसके बाद दुकान का काम खत्म करके वह घर आता है और अपनी बहन को बुलाता है शिवानी शिवानी शिवानी बोलती है हां भैया मैं यहां हूं पढ़ाई कर रही हूं देखो मुझे किताबें भी मिली है फिर राजू बोलता है बहुत अच्छे हैं किताबें शिवानी बोलती है

भैया मैं बड़ी हो जाऊंगी तो तुम्हें काम करने नहीं दूंगी भैया राजू बोलता है हां शिवानी , तू बड़ी होकर क्या बनेगी शिवानी बोलती है भैया मैं बड़ी होकर डॉक्टर बनूंगा

राजू बोलता है बहुत अच्छे मेरी बहना तू खूब पढ़ाई कर बाकी का सब मैं देख लूंगा चल अब हम खाना खाते हैं. ऐसा कहकर राजू और शिवानी खाना खा लेते हैं, फिर ऐसे ही कुछ साल बीत गए, शिवानी और राजू भी बड़े हो चुके थे राजू सेठ जी की दुकान को अच्छे से संभाल लेता था इसलिए रवि सेठ ने एक और दुकान खोलकर वह दूसरी दुकान चलाते थे और यह दुकान राजू संभाला करता था शाम के समय रवि सेठ को सारा हिसाब देकर वह घर चलाता था अब रवि सेठ की दुकान बहुत अच्छी चलने लगी थी इसलिए रवि सेठ राजू पर खुश थे अब कुछ दिनों में शिवानी दसवीं में पहले नंबर से पास हो जाती है राजू को बहुत खुशी होती है राजू शिवानी को डॉक्टर बनाना चाहता था उसे डॉक्टर बनाने के लिए राजू को बहुत सारे पैसे जमा करने थे इसीलिए राजू अब थोड़े थोड़े पैसे जमा करने लगा और वह दूसरी अच्छी नौकरी ढूंढता है जिससे ज्यादा पैसा वह कमा सके और

                                                                                            उसे नौकरी भी मिल जाती है राजू दुकान की नौकरी छोड़कर एक अच्छी नौकरी करने लगा अब शिवानी अब 12वीं कक्षा पास होकर उसका जिले में पहला नंबर आता है स्कूल में शिवानी का सत्कार होता है और फिर शिवानी घर चली जाती है तब राजू मिठाई लेकर घर आता है शिवानी को देख उसे बहुत खुशी होती है वह शिवानी से कहता है आज मैं बहुत खुश हूं तुमने आज 12वीं कक्षा में जिले में पहला नंबर लाकर मेरा सर ऊंचा कर दिया है

शिवानी बोलती है यह सब आपकी वजह से हुआ है भैया राजू बोलता है चल अब मिठाई खा शिवानी बोलती है तुम भी खाओ ना भैया कुछ महीनों बाद शिवानी का एडमिशन एमबीबीएस में हो जाता है अब कुछ साल ऐसे ही बीत जाता है शिवानी आप डॉक्टर बन जाती है और अच्छे हॉस्पिटल में नौकरी भी कर रही हो राजू यह खुशखबरी देने के लिए रवि सेठ की दुकान में चला जाता है और बोलता है सेठ जी कहां हो सेठ जी सेठ जी बोलते हैं आओ राजू कैसे आना हुआ आज राजू बोलता है सेठ जी शिवानी डॉक्टर बन रही है इसलिए मैं आपको मिठाई देने आया था सेठ जी बोलते हैं यह बहुत अच्छा हुआ

राजू आखिर तुम्हारा सपना पूरा हो ही गया राजू बोलता है हां सेठ जी यह लीजिए मिठाई ऐसा कहकर राजू सेठ जी के हाथ में मिठाई का डब्बा दे देता है और जाने के लिए निकलता है तभी सेठ जी चक्कर खाकर गिर जाते हैं उन्हें देख राजू उनको उठाने की कोशिश करता है मगर वह बेहोश हो जाते है राजू उन्हें  जल्दी से अस्पताल लेकर जाता है शिवानी उन्हें देख कर बताती है भैया इन्हे हर्ट अटैक आया है अभी ऑपरेशन करना पड़ेगा इनके घर वालों को बताना पड़ेगा राजू बोलता है मैं उन्हें बताता हूं तू इनका ऑपरेशन करो जल्दी करने की तैयारी करो जल्दी राजू रवि सेठ के घर फोन कर सारी बात बता देता है थोड़ी देर बाद उनकी पत्नी और उनका बेटा आ जाते हैं अस्पताल में उनका ऑपरेशन होता है ऑपरेशन होने के बाद उनके पास उनकी पत्नी बेटा राजू और शिवानी थी अब रवि सेट को होश आ जाता है शिवानी पूछती है रवि सेठ से  अभी आपको ठीक लग रहा है? हां डॉक्टर अभी मुझे ठीक लग रहा है शिवानी कहती है आप अब आराम कीजिए रवि सेठ कहता है राजू मैं अस्पताल में कैसे राजू कहता है सेठ जी आप को चक्कर आ गया था इसलिए मैंने आपको हस्पताल में एडमिट करवाया तो तभी पता चला आप को हार्ट अटैक आया है अब आप 

का ऑपरेशन हो चुका है और हां आप का ऑपरेशन शिवानी नहीं किया रवि सेठ कहता है राजू तुम्हारा बहुत-बहुत धन्यवाद तुम दोनों ने मेरे लिए कितना राजू कहता है सेठ जी आपने हमारे लिए जितना किया उसके बदले में यह तो कुछ भी नहीं है मैं आपके ठीक होने तक दोनों दुकान सब संभाल लूंगा आप चिंता मत  कीजिए शिवानी कहती है रवि सेठ से आपने जो हमारे लिए किया है वह तो हम बता दे नहीं सकते आप हमारे भगवान हैं सेठ जी आप आराम कीजिए आपको किसी भी चीज की जरूरत हो तो मुझे आवाज दे देना रवि सेट अपनी पत्नी शीला से कहता है देखा शीला इन बच्चों ने मेरे लिए कितना किया है 

रवि सेठ की पत्नी बोलती है हां जी इन बच्चों ने हमारे लिए बहुत  किया है मैं तो इनका शुक्रिया कर रही थी तो बोलते हैं कोई अपनों से शुक्रिया कहता है क्या हमें आज एक और बेटा और बेटी मिल गई जी रवि सेठ जाता है हां सिला तुम सही कह रही हो आज से हम इन्हें अपने घर में रहने बुलाएंगे हम एक परिवार बन के रहेंगे रवि सेठ की पत्नी बोलती है आपने मेरी मन की बात कह दी जी रवि सेठ बोलता है राजू तुम और शिवानी मेरे घर हमेशा रहने आ सकते हो मेरा बेटा और बेटी बनके यह सब बातें सुन राजू और शिवानी के आंखें भर आई उन दोनों का आज परिवार मिल गया..

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